R[LOVE|EVOL]UTION
हम दीवानों की क्या हस्तीहैं आज यहाँ कल वहाँ चले।मस्ती का आलम साथ चलाहम धूल उढ़ाते जहाँ चले॥ — भग्वति शरण वर्मा
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